किसान इस विधि से करे, मूली की खेती

मूली कम पानी में अधिक उपज देने वाली सब्जी वर्गी फसल है जिसकी जेड जमीन के अंदर जाकर विकसित होती हैं यह सब्जी वर्गी फसल हल्की भुरभुरी मिट्टी में अच्छे ग्रोथ करने वाली सब्जी है या फसल उष्णकटिबंधी और लगभग सभी मानसून में उपज देने वाली सब्जियां है यह फसल सदाबहार फसलों में मानी जाती है इसकी जड़ सफेद और लाल दोनों प्रकार की होती हैं या फसल में विटामिन बी6 कैल्शियम कॉपर मैग्नीशियम आयरन इसमें प्रचुर मात्रा में होता है यह फसल उत्तर प्रदेश बिहार असम बंगाल हरियाणा गुजरात हिमाचल प्रदेश आदि में होते हैं

मूली के लिए मौसम

मूली की खेती करने के लिए हल्का ठंड और हल्के गर्म वाले मौसम में जरूरत पड़ती है जिसका तापमान 18 डिग्री सेल्सियस से 25 डिग्री सेल्सियस तक मुख्य माना जाता है इसमें इससे अधिक तापमान होने पर मूली की जड कड़ी होने लगती है

मूली की खेती के लिए मिट्टी

मूली की खेती मैदानी तथा पहाड़ी क्षेत्रों में किया जाता है जबकि मूली का अच्छा उत्पादन के लिए जीवाश्म युक्त दो मत एवं बलुई मिट्टी अच्छी मानी जाती है जिसकाPHमान 6.5 होता है

टमाटर-की-खेती

मूली कौन से महीने में बोई जाती है

मूली को बोन के लिए सबसे अच्छा माह पहाड़ी इलाकों में अगस्त और जुलाई के महीने में बोया जाता है जबकि मैदानी क्षेत्रों में सितंबर और नवंबर में बोया जाता है

मूली की खेती के लिए जुताई करना

मूली के लिए खेत की जुताई चार से पांच बार करनी चाहिए मूली को अधिक गहरी जुताई सर्वप्रथम करें ताकि जेड भूमि के अंदर जाकर विकास करें जुताई के लिए ट्रैक्टर से मिट्टी पलटने वाले हाल से जुटाए करें रोटावेटर से पता ( हेगा)अवश्य लगे जिस खेत में कहीं जल जमाव न हो

मूली की खेत के लिए खाद्य की व्यवस्था

मूली की अच्छा पैदावार लेने के लिए 400 से 300 क्विंटल सडी गली गोबर की खाद जुताई करते समय खेत में बिखेर देना चाहिए और साथ में 40 किलो नाइट्रोजन 50 किलो फास्फोरस 50 किलो 50 पोटास पोषक तत्व के रूप में प्रति एकड़ डालना चाहिए मूली में नाइट्रोजन पौधा के विकास के साथ पूरी खड़ी फसल में दोबारा देना चाहिए जिससे जड़ों की विकास हो सके

धनिया-की-खेती

मूली की अच्छी किस्म

मूली का अच्छा उत्पादन के लिए अच्छी किस्म का चुनाव करना जरूरी होता है जिससे पैदावार और मुनाफा दोनों बड़े भारत के मूली उत्पादन कुछ किस्म यहां पर दी गई है जो की पहाड़ी और मदनी क्षेत्र के लिए उपयुक्त है


सिजेंटा पूजा आर का आर के सेमीनीस ,नॉन हंस ,म्यूजिक, पूसा हिमानी ,या प्रजातियां मैदानी और पहाड़ी क्षेत्रों में बोई जाती हैं कुछ प्रजातियां दिसंबर और फरवरी के महीने मे बोया जाते हैं

जैसे आर के आर के, अंकुर ,तथा कुछ प्रजातियां अगस्त माह में बोई जाती है अगस्त और जुलाई माह की प्रजातियां में मेढो तथा समतल क्यारियों में समतल बनाकर बाई जाते हैं

जो प्रजातियां मेढो पर भोई जाते हैं उन प्रजातियों को लाइन से लाइन की दूरी 45 से 40 सेंटीमीटर रखनी चाहिए तथा मेढो की ऊंचाई 9 इंच रखनी चाहिए

और पौधे से पौधे की दूरी 5 से 6 सेंटीमीटर रखनी चाहिए तथा गहराई बीज की बुवाई दो से तीन सेंटीमीटर गहराई रखनी चाहिए जिससे की बीज अंकुरित होकर ऊपर की ओर आ सके

मूली के बीच को उपचारित करना

मूली की बुवाई के लिए 5 से 6 किलो प्रति एकड़ बीज प्राप्त होता है मूली के बीच को 100 ग्राम थीरम से 5 किलो बिज को संशोधित करना चाहिए या फिर 5 किलो के लिए 2 लीटर गौ मुत्र से बीज को उपचारित करना चाहिए

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मूली में पानी की व्यवस्था

मूली की फसल में पहली बार सिंचाई तब करें जब मूली के पेड़ से तीन-चार पत्ते निकले और मूली में सिंचाई भूमि के अनुसार काम और ज्यादा करें जबकि सर्दियों के माह में 10 से 15 दिन के बाद मूली की सिंचाई करें गर्मियों में यहां तीन से चार दिन के बाद सिंचाई करें

मूली में खरपतवार दवा का प्रबंध

मूली में खरपतवार दवा के लिए पेंडा मिथाइलिन बुवाई से एक दिन पहले 300 से 400 लीटर पानी में ढाई सौ मिली लीटर पैडामिथिइलिन को घोलकर छिड़काव करें

और मूली की जड़ों का विकास करने के लिए मूली के फसल को दो से तीन बार निराई गुड़ाई करनी चाहिए मूली की जब जड़ी विकास की अवस्था में हो तो मेढो पर मिट्टी चढ़ाने चाहिए तथा समतल खेतों में निर्णय गुड़ाई करें

मूली में लगने वाले रोग

मूली में बहुत तरह के रोग लगते हैं जिन्हें रोकने के लिए दावों का इस्तेमाल किया जाता है मूली के कुछ प्रमुख मूली में पीला रोग पत्ता छिड़क जड़ गलन सफेद मक्खी हरि मक्खी चेप मुरझाना पत्तों की सुडी आदि

मूली के कीटों की दवा

पेत की सुंडी यदि इसका हमला मूली के पत्तों पर दिखे तो उसे रोकने के लिए सुपर किलर 500 ई सी एक ml प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव कर यदि फिर किट दिखे तो दो से तीन दिन बाद फिर छिड़काव करें

मुरझाना

यह रोग मूली के पौधे पौधे 7 से 10 दिन होने के बाद पत्तों का रंग हल्का पीला होने लगता है जिससे पौधों का विकास रुक जाता है तथा पौधों में फंगस लग जाता है

और यहां रोग अधिकांशत बारिश के मौसम में होता है इसका असर पौधे पर दिखे तो मैनकोज़ेब और कार्बनडीए जाए 1 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें

सफेद मक्खी

सफेद मक्खी का असर मूली के पौधे पर 10 से 15 दिन के बाद असर दिखाई देने लगता है क्योंकि इसी समय मूली के पौधे से पत्ता निकालकर विकास करता सफेद मक्खी को रोकने के लिए एसिड तामाप्रीत 20 spपी का छिड़काव करें दोबारा किट देखने पर तीन दिन बाद पुन छिड़काव करें

खेत से मूली को उखाड़ना

मूली की कुछ किस्म में 28 से 30 दिन में तैयार हो जाती है तथा कुछ किस में 30 से 35 दिन में खाने योग्य हो जाते हैं इस समय मूली की फसलों को खेत से उखाड़ना चाहिए

मूली को उगाने की क्षमता

मूली को उगाने की क्षमता भूमि के उरवाराशकित तथा मूली के प्रजाति दोनों पर निर्भर करते हैं मूली की उपज क्षमता 80 से 100 कुंतल प्रति एकड़ देखने को मिलता है

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