परिचय
कपास जिसे सफेद सोना भी कहते हैं भारत के महत्वपूर्ण खेती में से एक है इसका खेती भारत के लगभग सभी राज्यों में may से तथा june में किया जाता है भारत भारत में इसकी खेती एक महत्वपूर्ण नदी फसल है भारत दुनिया का सबसे बड़ा कपास उत्पादक उपभोक्ता देश है कपास की खेती के लिए यहां पर कुछ निम्न बातों को ध्यान में रखते हुए बताया गया जिसे आप जिसे आप अपना कर कपास की खेती कर सकते हैं
कपास की खेती के लिए मिट्टी
कपास की खेती के लिए जल निकास वाली रेतीली दोमट मिट्टी या लाल मिट्टी अच्छी मानी जाती है बुवाई से पहले कपास के खेत को अच्छी तरह से तैयार कर लेना चाहिए और खरपतवार को हटा देना हटा दिया जाता है
कपास की खेती की बुवाई का समय
कपास की खेती कब हुआ इसका समय लगभग मार्च तथा में के बीच में किया जाता है और अप्रैल और मार्च के महीने में भी किया जाता है
गोभी-की-खेतीकपास की खेती के लिए मॉनसून
कपास की खेती के लिए मानसून मुक्त 20से 30डिग्री सेल्सियस होना चाहिए जिससे कपास के पौधों को अच्छे से विकास हो सके और फलों का फल से फूल में कन्वर्ट हो सके
कपास की खेती के लिए वर्षा
कपास की खेती के लिए वर्ष का होना जरूरी होता है क्योंकि कपास की खेती में पानी की मात्रा ज्यादा होती है इसलिए वर्ष का होना भी जरूरी होता है
कपास के खेती के लिए तापमान
कपास की खेती के लिए तापमान 21 से 30 डिग्री 70 F से 76 Fफॉरेनहाइट के बीच होना चाहिए हालांकि कपास का पौधा गम सहनशील होता है और थोड़े समय के लिए जब बारिश ना हो तब 43 डिग्री तक तापमान सहन कर सकता है
कपास की खेती के लिए कुछ तापमान है जो कि समय-समय पर होना चाहिए
बीज अंकुरण
के समय बीज बुवाई के समय तापमान कम से कम 15 से 20 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए
पौधा विकास के समय कपास के पौधे विकास के समय 20 से 37 डिग्री सेल्सियस तापमान होना चाहिए जिससे पौधे का विकास हो
रेशा विकास
के समय जब पौधे का विकास हो जाए तब फल से फूल में कन्वर्ट होने के लिए रेशे का विकास होता है उसके लिए तापमान 30 डिग्री से कम होना चाहिए जिससे रेशन गुणवत्ता बेहतर हो
कपास के बीज जो कि लोक प्रिय किस्म
भारत में कुछ लोकप्रिय कपास के किस में और उनके बीच है जिनका विवरण यहां नीचे है
अनंत एक लंबे समय तक रहने वाले शंकर कपास की किस्म है जो अधिक उपज देती है
आरकेवीटी 213 यह कुछ उपज देने वाली कपास की किस्म है जो की सुख के प्रति अधिक सहनशील होता है जिससे पैदावार अच्छा होता है
JCCC यह एक कपास की अच्छी गुणवत्ता वाली किस्म है जो की लाल रोग फंगस के प्रति अधिक सहनशील होती है
केजी 11 या कपास की किस्म लंबे तंतु वाले होते हैं जो कपड़ा उद्योग के लिए अधिक उपयोग किया जाता है
कपास के बीज आप कहां से लेने आपका कपास के बीच को निम्न स्थानों में से प्राप्त कर सकते हैं जैसे की
सरकारी कृषि विभाग
यह स्टोर आपके ब्लॉक तहसील जिला में कहीं ना कहीं खुला रहता है जहां पर आपको कपास की अच्छी क्वालिटी के बीच इस जगह से आपको मिल सकते हैं
KRISH YIDYALE
भारत के हर राज्य में कहीं ना कहीं कृषि विद्यालय बना हुआ है जहां पर वह लोग अपना स्वयं का कपास बीज को उत्पादन और वितरण करते हैं इन जगहों पर इन जगहों से कपास के के बीच को खरीदना खरीदने से कपास के अच्छे किस्म प्राप्त हो होते हैं जो कि वहां की भूमि के अनुकूल होती हैं
बीज़ की गुणवत्ता कपास की खेती के लिए जब भी बीच खड़े तो अच्छे गुणवत्ता वाली बी खरीदें क्योंकि अच्छे गुणवत्ता वाले बीच मजबूत पौधे और अधिक उपज देती है और कीटो और लोगों के प्रति अधिक प्रतिरोधी होती है
बीज़ की बुवाई
कपास के बीच की बुवाई दो पति से की जा सकती है जो कि पीछे नीचे दी गई
हाथ विधी
इस विधि में बीज को डायरेक्ट हाथ से खेत में बोया जाता है जो की समान दूरी पर बोया जाता है
पौधारोपण विधी
इस विधि में सबसे पहले बीच को नर्सरी में तैयार किया जाता है फिर कुछ समय बाद पौधे खेत में लगाया जाता है
बीज़ की दूरी
बीच की बुवाई मिट्टी के आधार कृष्ण और रोपण विधि पर निर्भर करती है क्योंकि अधिकांशत कतर से कतर के बीच 90 से 120 सेंटीमीटर पर बोया जाता है तथा पौधे से पौधे की दूरी 45 से 60 सेंटीमीटर के बीच रखा जाता है
करेले-की-खेतीकपास के लिए उच्च खाद
कपास की खेती की अच्छी पैदावार के लिए खाद की बहुत जरूरी होती है क्योंकि खाद से पौधे का विकास होता है
जैविक खाद
जैविक खाद कपास में देने देने से भूमि में सुधार होती है तथा कपास खेती के लिए जब खेत की तैयारी कर रहे हो तब तक से 15 तलेन गोबर की खाद को खेत में छिड़ा या भी खेल दें जिससे हाथ हर तरफ बराबर मात्रा में हो सके
रासायनिक खाद
कपास में रासायनिक खाद डालने से पौधे में ज्यादा ग्रंथ और पैदावार दिखाई देता है जिससे किसान एक बार तो अधिक पैदा ले सकते हैं फिर उसके बाद भूमि रासायनिक खाद से खराब हो जाती है जिससे कपास को बार-बार खाद की जरूरत पड़ती है जो कि यहां पर दिया गया है
नाइट्रोजन पत्तियों के विकास के लिए तथा तने का लंबा होना फूलों से फल में कन्वर्ट होने के लिए जरूरी होता है
फास्फोरस जड़ों की जड़ों की अच्छी विकास के लिए फल आना और आदेशों की अच्छी गुणवत्ता के लिए फास्फोरस दिया जाता है
पोटाश यह रोग के प्रति अत्यधिक सहनशील पैदा करता है तथा फसल की गुणवत्ता मे सुधार करता है
निराई गुड़ाई
कपास की सिचाई विधि
सिंचाई एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है फसल के लिए जिससे पैदावार और गुणवत्ता को प्रभावित करते हैं कपास को अपनी जीवन चक्र में दो से तीन बार तीन बार आवश्यक होता है
ड्रिप विधि
इस विधि में जल की बहुत कम जरूरत होती है क्योंकि इस विधि में जड़ों के पास पानी दिया जाता है इस पानी की बचत और पोषक तत्वों का उपयोग होता है इस विधि को स्थापित करने में अधिक खर्च आता है
परंपरागत विधि
मैं विधि भारत में बहुत पहले से चली जा रही है और अधिकांशत ही यह विधि किस अपनाते भी हैं यह विधि स्थापित करने में एक भी रुपए नहीं लगता इस विधि में पानी की ज्यादा लागत लगती है और पानी की बर्बादी भी होते हैं
छिड़काव विधी
इस विधि में कपास के पौधे के ऊपर पानी को हवा में छिलका जाता है इस कपास के पौधे पर जाता है यह विधि जल बचाने में अत्यधिक प्रभावित है यह विधि खर्चीली विधि है
कीट और दवा का प्रबन्ध
सफेद मक्खी कपास में सफ़ेद मक्खी के लिए जब पौध को खेत में लगाये तभी से सफ़ेद मक्खी के लिए दावा का इस्तेमाल करे जिस से मक्खी का पार्को ने हो सके जिससे कपास में गुर्छा का भी निवारे किया जा सकता है
दावा प्रबन्ध सफ़ेद मक्खियों के लिए अच्तिप्रिदे २० spका सपर्य करे
लाल मकड़ी
दावा प्रबन्ध
इल्ली दावा
Fafudnashak
दावा
झुलसा
अगति झुलसा
Paachti झुलसा
टानिक
FAQ
कपास की खेती pdf
कपास के PDF येह से पार्यप्त करे जो की निम्म है
कपास की खेती सबसे ज्यादा कहा होती है
MAHARASTE उत्तर परदेश बिहार असम आधी