सब्जी में टमाटर की खेती भारत में सबसे लोकप्रिय सब्जी है भारत में टमाटर की खेती बहुत बड़ा पैमाने पर किया जाता है आलू के बाद टमाटर की खेती मुख्य रूप से की जाती है इसमें विटामिन सी प्रचुर मात्रा में पाई जाती है तथा टमाटर में कैल्शियम सोडियम विटामिन जैसे खनिज पदार्थ प्राप्त होते हैं
धनिया-की-खेती/तथा इससे फल की तरह कच्चा या पका कर खाया जाता है इससे जूस सूप पाउडर चटनी में तथा सैंडविच में और सलाद के रूप में कच्चा खाया जाता है टमाटर के अधिकांश पैदावार भारत के कुछ ही जिले राज्य में किया जाता है जैसे उत्तर प्रदेश मध्य प्रदेश बिहार गुजरात असम महाराष्ट्र पश्चिम बंगाल कर्नाटक छत्तीसगढ़ तमिलनाडु आदि राज्य में टमाटर की खेती की जाती है
टमाटर के लिए कितना उपयुक्त जलवायु है
भारत में अधिकतम जलवायु की बात करें तो वह तापमान 10 से 18 डिग्री होना चाहिए क्योंकि अधिक गर्मी से टमाटर के फूल झड़ने लगते हैं
जो कि फल के रूप में नहीं बदलते अगर बरसात के मौसम की बात करें तो ज्यादा बारिश से टमाटर के फूल नहीं टिकते इसीलिए टमाटर को एक बराबर जलवायु की जरूरत पड़ती है
टमाटर के लिए कौन सी मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है
टमाटर लगभग सभी प्रकार की मिट्टी में खेती की जा सकती है परंतु कुछ टमाटर की किस्म सभी प्रकार की मिट्टी में नहीं हो पाए उसके लिए रेतीली मिट्टी काली दोमट मिट्टी लाल मिट्टी बलुई मिट्टी में खेती की जा सकती है
टमाटर की खेती के लिए मिट्टी का पीएच मान 7 से 8 होनी चाहिए अगर ज्यादा और अच्छी बार पैदा की बात करें तो दोमट मिट्टी और हल्की रेत वाली मिट्टी सर्वोत्तम मानी जाती है
टमाटर के लिए बेड बनाना
टमाटर की खेती करने के लिए टमाटर के बीज को बेड बनाकर डाला जाता है जिसे नर्सरी भी कहते हैं नर्सरी में बेड बनाने के लिए एक मीटर चौड़ा 9 इंची ऊंचा बेड बनाया जाता है फिर उसके बाद बीज को लाइन से बोया जाता है फिर उसके बाद जूत की सूती बोरी से अच्छी तरह ढक दिया जाता है
फिर उसके बाद में दवा छिड़कने वाली मशीन से सुबह शाम पानी का छिडकाव व जूत की बोरी पर किया जाता है फिर तीन दिन बाद बीज अंकुरित होकर बाहर आ जाता है
उसके बाद जूत की बोरी को आराम से हटा दिया जाए उसके बाद सुबह शाम पानी का छिड़काव किया जाता है
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फिर नर्सरी में टमाटर के पौधों 10 दिन के बाद एनपी 19:19:19 2 ग्राम पर लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें जिससे पौधा मजबूत हो और जल्दी पौधा को खेत में लगाया जाए फिर उसके बाद नर्सरी में पानी लगाकर पौधों को जड़ सहित उखाड़ जाए
जिससे पौधा का जड़ आसानी से उखाड़ सके फिर उसके बाद पौधे की जड़ में मैकोजबे या थीरम से पौधे की जड़ को आपस में धोए
जिससे कीटाणु और फंगस समाप्त हो जाए फिर जहां पौधा लगाना हो वहां गड्ढा खोदकर थोड़ा सा पानी डालकर लगे जिससे पौधा सुख ना और आगे चलकर पौधे की जड़ जमीन में टिक सके
टमाटर के प्रमुख किस्म
टमाटर के प्रमुख किस में दो प्रकार की होती हैं पहले हाइब्रिड की कृष्णा दूसरा देसी किम
हाइब्रिड किस्म
संकर कृष्ण को हाइब्रिड किस्म कहां कहा जाता है जिसके पैदावार और बढ़वार दोनों ज्यादा पाई जात हाइब्रिड कि एम 60 से 65 दिन में फल देने लगते हैं हाइब्रिड किस्म में दो प्रजातियां होती हैं पहले किस में 60 से 65 दिन में फल की तुड़ाई होती है वहीं दूसरी किस्म 90 से 80 दिन में पहले तोड़ाई होती है
जैसे VNR कंपनी का bani जो की 60 दिन में फल की तौड़ाई शुरू हो जाती है यह किस्म में आगेती की खेती के रूप में किया जाता है
यह किस्म में 30 से 35 डिग्री पर फल फूल ले सकते हैं क्योंकि यह किस्म की गर्मी सहने की क्षमता अधिक होती है यह किस में बरसात के मौसम में खेती की जाती है
पंचगंगा
यह किस्म में बीज कम होता है इसका आकार नाशपाती के आकार का होता है इसके छिलके मोटे होते हैं इसकी तुड़ाई के बाद 7 दिन मंडी में बेचे और खाने योग्य रहता है यहां किस्म अधिकांशत गर्मी के मौसम में खेती किया जाता है
J U कंपनी
यह किस्म बरसात के मौसम में अनुकूल मानी जाती है इस किस्म का आकार हल्का गोल पाया जाता है हल्का किस्म में रोग के प्रति सहनशील ज्यादा होती हैं या किसी में 60 से 70 दिन में पहली तौङाई की जाती है इसमें छिलका मोटा पाया जाता है जिसमें उनकी मंडी भाव भी किया जा सकता है
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यह किस एम टमाटर की साइज गोल होती है और पौधे की बढ़वार लगभग बराबर रहती है इसका पेड़ मजबूत होता है यह पौधा मौसम के अनुकूल होता है
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यह टमाटर देश भर में सबसे ज्यादा पैदावार देने वाला टमाटर होता है इसकी पैदावार 25 से 40 टन पर एकड़ होती है इसकी फल का साइज गोल होता है
तथा फल का वजन 80 से 100 ग्राम होता है साहू टमाटर को पौधा ज्यादा ग्रोथ होता है यह टमाटर बेल वर्गी होता है
इसमें उकठा, फंगस, विषणु जैसे रोग के प्रति ज्यादा सहनशील होता है इस टमाटर को कम पानी की जरूरत होती है और यह टमाटर गुच्रछा के आकार में फली लेता है जैसे कि अंगूर
नामधारी एन एस 962
यह टमाटर की किस्म बहुत ही ज्यादा लाल रंग के होता है यह गोल रंग में एक मीडियम साइज का टमाटर होता है इसमें रोग कुछ ही कम लगते हैं इसकी पैदावार की बात करें तो 750 किलो पर एकड़ पैदावार देगी यहां कि एक पेड़ पर 15 किलो टमाटर का फल देता है
नामधारी 592
यह किस्म सबसे अगेती किस्म मानी जाती है क्योंकि 28 से 30 डिग्री तापमान पर यह सह सकते हैं यहां फल शुरुआत में बड़े आकार की लेती है फिर वह बाद में छोटे आकार की होती है
Namedhari ns 4266
यह किस्म में लाल रंग की होती हैं यह दिखने में भी खूबसूरत दिखाई देती है यहां किस में पछेती खेती के लिए सही माना जाता है क्योंकि यह किस्म 100से 120 दिन में पहले पहली तौङाई होती है
नामधारी एन एस 2355
यह किस्म हलका नाशपाती की आकर का होता है यह किस्म का छिलका मोटा होता है और यहां किस्म से 100 से 120 दिन में पहली तोड़ाई होती है
Seminis abhilash
यह किस्म में बहुत ही ज्यादा तापमान सह सकने वाला पौधा होता है यहां किस्म का फल लगभग हर समय एक साइज का होता है या किस्म की पैदावार ज्यादा होती है और यहां किस्मगर्मी और बरसात दोनों मौसम में खेती की जाती है
क्योंकि यह किस्म रोग के प्रति सहनशील और कोहरे के प्रति सहनशील होता है
इस किस्म को पानी की बहुत ही कम मात्रा में दिया जाता है यहां किम बेल और झाणी दार दोनों प्रकार का पौधा होता है
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यह किस्म का फल का आकार हल्का लंबा होता है इसका छिलका मोटा होता है जिससे दूर की मंडी भी किया जा सके इसमें किस्म का पहले तौड़ाई 100 से 110 दिन में होती है होता है
कैलाश सोना 38
यह किस्म के फल का साइज लगभग गोल पाई जाती है यह किस्म में पैदावार सामान्य होता है यह किस्म आगेती की खेती की जाती है इस किस्म में बीज लगभग बराबर ही रहता है
एग्रो शान
यह किस्म की फली नाशपाती की तरह पाई जाती है इसमें फल में बीज की मात्रा कम पाई जाती है इस फल का छिलका मोटा पाया जाता है इस फल में 110 120 दिन में पहले तोड़ाई की जाती है इसकी अधिकांश खेती गर्मी के मौसम में किया जाता है
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यह किस्म का फल लगभग गोल होता है इसकी खेती अगेती में किया जाता है या इस फल की पहली तोङाई 70 से 90 दिन में किया जाता है
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यह किस्म का फल लगभग गोल होता है यह किस्म में पैदावार कुछ ज्यादा ही देती है इस किस्म में रोग प्रतिसहन सील जर्यादा पाई जाती है यह फल में बीज कम होता है इस फल का छिलका लगभग समान होता है
2 देसी किस्म
देसी किस्म यह किसने अब लगभग समाप्त की ओर जा रही हैं क्योंकि देसी किस्म में पैदा हुआ अच्छी नहीं हो पाती इसलिए अब इसकी खेती नहीं की जाती है
टमाटर के बीज की बुवाई का तरीका मेड और बेड पर
अगर कोई किसान भाई देसी टमाटर के खेती करना चाहता है तो तो उनको देसी किस्म की उन्नतशील बीच 200 से 400 ग्राम प्रति एकड़ बुवाई कर सकते हैं और वहीं हाइब्रिड की बात करें तो 100 से 150 ग्राम प्रति एकड़ बीज की बुवाई की आवश्यकता होगी
टमाटर के बीज को मेड या बेड पर बोने से पहले दो ग्राम थीरम या 1 ग्राम कार्बनडाजाईम दवा से प्रति किलोग्राम बीज को उपचारित
करने के बाद बीज को मेड या बेड पर बोना चाहिए जब पौधा 10 दिन का हो जाए तो इसे डाइथेन एम 45 तब बावस्रटीन 2 ग्राम प्रति लीटर दवा का घोल बनाकर टमाटर के पौधों पर छिड़काव करें
टमाटर के खेत के लिए जमीन की तैयारी करना
टमाटर की खेत के लिए खेत को अच्छी तरह से तैयार करना चाहिए फिर खेत की अच्छी तरह से गहरी जुताई करें फिर उसके बाद रोटावेटर से मिट्टी को भुर भुरी बना ले फिर उसके बाद खेत को पलाव समतल मिट्टी करने वाले हाल से खेत को समतल कर ले
जिससे खेत में पानी का जमाना न हो खेत के अंतिम जुताई में 200 से ढाई सौ कुंतल गोबर की सदी गली खाद का छिड़काव कर खाद को मिट्टी में मिला ली जिसमें से अच्छी पैदावार मिल सके
फिर उसके बाद जब खेत में टमाटर की मेढ बना रहे हो तो उसे टाइम 200 कि यूरिया और 60 किलो DAPऔर 80 किलो पोटाश का छिड़काव करना चाहिए या फिर NPK19: 19:19 :का 15 दिन पर पौधों पर छिड़काव कर सकते हैं
टमाटर में पानी या सिंचाई कब और कैसे करें
टमाटर की खेती मे पानी समय और रोपाई के अनुसार की जाती है अगस्त के महीने में पानी मौसम के अनुसार दिया जाता है जैसा मौसम वैसा सिंचाई होती है अब बात करें सितंबर और अक्टूबर के महीने में 15 से 20 दिन में एक बार सिंचाई की जाती है
क्योंकि मौसम में परिवर्तन होने से भूमि में नमी बनी रहती है और जनवरी से फरवरी के महीने में 4दिन से 6 दिन के बीच पानी की जरूरत पड़ती है अगर वही बात करें नवंबर से फरवरी माह में अगर ड्रिप लगा है तो पानी दो दिन में एक बार चलना चाहिए
टमाटर की रोपाई व दूरी
टमाटर की रोपाई लाइन विधि से की जानी चाहिए जिससे पानी और पौधा में दवा छिड़काव करने में ज्यादा दिक्कत ना हो रोपाई में पौधे से पौधे की दूरी सीमित या जमीन के अनुसार दो से तीन फीट की दूरी पर रोपाई करनी चाहिए और अगर पौधा बढ़ावा किस्म की है
तो 4 से 5 फीट की दूरी पर रखना चाहिए टमाटर के पौधों जून से अगस्त तक जब मौसम में बारिश हुआ है तो पौधे की रोपाई करना चाहिए अगर
वहीं नवंबर से फरवरी के बाद करें तो पौधे की रोपाई अधिकांश का शाम के समय 4से 5 बजे करना चाहिए जिससे पौधा रात भर सेट हो सके
टमाटर के खेत में पानी पानी ड्रिप से या नाली से देना चाहिए
टमाटर के पौधे खेत में रौपाई के बाद हल्की सिंचाई करना चाहिए बाद में टमाटर में आवश्यकता अनुसार सिंचाई किया जाना चाहिए अगर टमाटर में ड्रिप से सिंचाई करने से घास अन्य चीजों पौधे के आस पास जमाव नहीं होता है जिससे खर्च की बचत होती है
अगर वही बात करें नली की तो नाली से पौधे के आसपास खास या अन्य चीजों का जमाव होने लगता है जिससे आगे चलकर साफ सफाई करवानी पड़ती है
टमाटर की खेती में खरपतवार नियंत्रण कैसे करें
टमाटर में खरपतवार नियंत्रण करना आसान होता है सैकर का 300 ग्राम प्रति एकड़ या तो फिर Metribuzin 70 WP का छिड़काव कर सकते हैं जो घास का कोई भी चीज हो 40 दिन के बाद टमाटर में छिड़काव कर सकते हैं
टमाटर के कीट और रोग और रोकथाम
सफेद मक्खी
यहां टमाटर के पत्तियों का रस चोसकर कर पौधों को कमजोर बना देती है और यह पत्तियों के नीचे की तरफ काले धब्बे छोड़ते हैं आगे चलकर यहां पत्तियां मरोड़ या पत्ता मरोड़ का शिकार हो जाते हैं
रोकथाम
सफेद मक्खी के रोकथाम के लिए एसिटामिपिड 20 sp का 10 ग्राम पर 15 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव कर सकते हैं या फिर पीले फोरामोन कार्रड का उपयोग कर सकते हैं
जिसके लिए उसमें गिरीश या तेल लगाया जाता है फिर उसे टमाटर की खेत में लगाया जाता है जिसे फोरामोन पर सफेद मक्खियों आकर बैठते हैं और गिरीश या तेल में चिपक जाते हैं
थीप्रस
यह हर एक सब्जी में पाई जाने वाली किट है जो की मौसम में ज्यादा गर्म होने के कारण पौधे पर असर दिखाई देता है किट पत्रते के कोमल भागों का रस चूसता है और पेतर्त नाव की तरह मुड़ जाते हैं इस कीट के होने से पौधे के टमाटर का फूल झड़ने लगता है
रोकथाम
किट को रोकने के लिए इमीडाक्लोरोपिड 17.8 sl 60 ML 200 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना करें यदि यदि ट्रिप्स नहीं जाते हैं तो फिर फिफ्रेनिल 80wg को ढाई एमएम पर लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें
लाल मकड़ी माइट
यह एक खतरनाक किडा होता है यह किट पेत्रत के नीचे की ओर से खाता है इसके ज्यादा हमले से पत्ते नीचे की ओर मुड़ने लगते हैं
रोकथाम
स्पाइ रौमैसीकेन 22.9 SP को 200 ml 180 लीटर में मिलकर एक एकड़ में छिड़काव करें
झुलसा रोग
यह टमाटर में पाई जाने वाली प्रमुख बीमारी है शुरुआती दौड़ा में पेट पर छोटे धब्बे होते हैं और आगे चलकर यह धब्बे पूरे तने और फल पर दिखाई देते हैं और आगे चलकर धब्बे के बीच में सुराख बन जाता है इसके ज्यादा हमले से पत्ते झड़ जाते हैं
रोकथाम
मैकोजेब 400 ग्राम टेबूकोनाजोल 200 लीटर का घोलकर छिडकाव करें टमाटर में यह पहले छिड़ाकाव 10 से 20 दिन के बाद दोबारा छिड़काव किया जाए या फिर कर पर कापर ऑक्सिक्लोराइड 50 wP का छिड़काव किया जाए
पेत्त पर धब्बा होना
टमाटर में इस बीमारी में पेत्तो के निचले हिस्से पर सफेद रंग का धाबा बन जाता है इस बीमारी से पौधा अपना भोजन नहीं बन पाता है यह बीमारी अधिकांश फल लगने वाली समय में ही आता है या बीमारी फसल के विकास के टाइम भी हमला करती है
रोकथाम हक्क्साकोनाजोल के साथ स्टीकर मिलकर 1MLलीटर दवा घोलकर छिड़काव करें और खेत में पानी का जमाव न होने दे और अगर हमला ज्यादा है तो सर्ल्फर 80wg 25 ग्राम पर 15 लीटर पानी में अच्छे से खोलकर छिड़काव करें