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सरसो में माहो की दवा

सरसो में माहो की दवा

सरसो में माहो की दवा

सरसो की खेती करना,सरसो में माहो की दवा

सरसो में माहो की दवा

जी हां किसान भाइयों आज हम रवि के मौसम में उगाई जाने वाली प्रमुख फसल सरसों के बारे में बताते हैं जो की तिलहन के रूप में बहुत ही अच्छा है

और इसकी सरसो की खेती करना भी बहुत ज्यादा आसान है क्योंकि सरसों को हम लोग कम समय में कम लागत में तैयार कर सकते हैं

साथ ही इसकी खेती में अच्छा मुनाफा प्राप्त होता है इसकी खेती के लिए भारत के किसी भी भूमि पर इसको उगाया जा सकता है क्योंकि इसको कम नमी की आवश्यकता पड़ती है सरसों के दोनों से तेल निकाल कर उसका उपयोग किया जाता है

तथा खाली को पशुओं के चारे के रूप में प्रयोग किया जाता है अगर आप भी सरसों की खेती करना सोच रहे हैं तो आप इस पोस्ट को पढ़कर आप उन्नत तरीके से खेती की जानकारी मिल जाएगी और सरसों किस राज्य में सबसे ज्यादा होता है

और कौन से टाइम में बोया जाता है सरसो में माहो की दवा  कौन से सीड्स अच्छे होते हैं और कौन से कीटनाशक या दवा का प्रयोग होता है यह सब जानकारी इस पोस्ट में हम आपको देते हैं

सरसों के लिए के अपने भूमि तैयार करना

सरसों का वैज्ञानिक नाम देसीका जानिए है बेसिक का चांस किया है फेरी कल का पौधा है क्योंकि कुछ संथाली का वर्ग में आता है इसकी खेती में बहुत ज्यादा पानी और उर्वरक के साथ-साथ जलवायु भी बहुत महत्वपूर्ण है

सरसों की फसल किट और रासायनिक चीजों का प्रयोग करके अच्छा मुनाफा प्राप्त किया जा सकता है

सरसों की खेती करने के लिए अधिकांश काली मिट्टी Lal Mitti बलुई मिट्टी दोमट मिट् भरवारी मिट्टी जिसका अधिकांश मां 6 से 7 PH में होना चाहिए जो की सरसों के लिए बहुत लाभकारी होता

सरसों की खेती का समय है सरसों
कब बोई जाती है

भारत के सभी राज्यों में सरसों अधिककश सितंबर और अक्टूबर माह के बीच में बोया जाता है वैसे अक्टूबर और नवंबर के लास्ट माह तक बिवाई की जाती है

लेकिन केवल सिंचाई वाले क्षेत्रों में जहां पानी उपलब्ध हो नवंबर के माह में की जाते हैं

तथा उनके बीजों को बुवाई से पहले मैनकोज़ेब 40% kardenda zieme 60%से उचित मात्रा में उपचारित कर लेना चाहिए सरसों को तैयार होने में 120 se125 दिन का समय लगता है

सरसों के खेती वाले राज्य

भारत के अधिकांश राज्य में मिट्टी अलग-अलग पाई जाती है जिसके कारण हर मिट्टी का PH मान 5 ,6, 7 ,होता है इसलिए सरसों भारत के हर राज्य में उत्पादित होता है

सरसों की खेती के लिए जलवायु

सरसों की खेती के लिए जलवायु सरसों की खेती के लिए ठंडा जलवायु की आवश्यकता होती है भारत में इसकी खेती रवि के मौसम में की जाती है इसका औसतन तापमान 25 से 30 डिग्री उपयुक्त होता है,

सरसों के बुवाई से 20 से 25 डिग्री सेल्सियस तथा कटाई से 30 से 37 डिग्री सेल्सियस उचित रहता है जो कि भारत के हर राज्य में आगे पीछे होता रहता है

सरसों के उन्नत किस्म

किसान भाइयों भारत के हर राज्य में मिट्टी अलग होने की वजह से अधिक पैदावार भी होते हैं किसी राज्य में सरसों के अधिक पैदा होती है तो किसी राज्य में सरसों की कम पैदावार होती है

अधिक पैदावार के लिए अच्छे और उन्नत बीजों का होना जरूरी होता है इसके लिए आप प्रमाणित बीजों का ही उपयोग करें आपको अपने क्षेत्र के जलवायु के अनुसार ही हाइब्रिड की किस्म का ही चयन करें सरसों की कुछ किस में बाजार में उपलब्ध है जो नीचे दिए गए हैं

वैज्ञानिक विधि से सरसों की खेती करना

भारत में सरसों की अधिकांश वैज्ञानिक विधि से खेती तमिलनाडु, राजस्थान ,और गुजरात के कुछ क्षेत्रों में किया जाता है सरसों के वैज्ञानिक खेती के लिए उपयुक्त बीज, उपयुक्त जलवायु, उपयुक्त भूमि, उपयुक्त दाव , और उपयुक्त तकनीकी का प्रबंध होना अति उत्तम होता है और जिस कीट और रोग का निदान किया जा सकता हैH6

काली सरसों की खेती

किसान भाइयों काली सरसों की खेती अपने भारत में कुछ ही क्षेत्र में की जाती हैं जो की एक बहुत अच्छी वैरायटी होती है वह जमीन से लेते हुए 4 से 5 फीट तक अच्छे क्वालिटी के दाने लेता है

और इसके दाने छोटे काले और मोटे आकार का होता है इसके कारण भारत के कुछ ही हिस्से me सबसे ज्यादा खेती की जाता है H1

सरसों की खेती कैसे करें

सबसे पहले हम लोगों को अपने खेत को अच्छी तरह से जोताई करें इसके लिए कल्टीवेटर से तीन बार jotaie करें तथा रोटावेटर से एक बार जोताई करें और जुताई करते समय 50 किलो यूरिया 50 किलो DAP को 1 बीघा में उर्वरा शक्ति दे

इसके बाद पाते (हेग)की मदद से खेत को समतल करें जिससे जल भराव की समस्या ना हो

फिर हम लोगों को अपनी प्रमाणित सीड्स को अपने खेत में mankojeb karbendazime से उपचारित करें

बुवाई के समय यदि खेत में नमी न हो तो खेत में नमी के लिए स्प्रिंकलर का प्रयोग करे जिस से खेत में नमी ho tab बीज की बुवाई sideela से करें

सीड्स ko तीन-चार इंच से अधिक गहरा ना बोएं क्योंकि ज्यादा नमी होने से बीज़ सड़ जाएगा इसलिए बीच को दो-तीन सेंटीमीटर ऊपर ही रखें

इसके बाद एक सप्ताह के अंदर भी अंकुरित होकर ऊपर आ जाएगी 25 दिन के बाद हम लोगों को सरसों के समय-समय पर खरपतवार और पानी की जरूरत पड़ती है

सरसों की जैविक खेती

किसान भाइयों आप सरसों की जैविक खेती करना चाहते हैं तो सबसे पहले आपको अपने खेत में 5 से 6 ताली सदा गोबर का प्रयोग करना पड़ेगा

आपको बुवाई के समय जैविक सरसों बीज का चयन करना पड़ेगा जैविक खेती में केवल प्राकृतिक उर्वरक और प्राकृतिक कीटनाशक का उपयोग करना पड़ता है

जिससे पर्यावरण और मानव को कम हानि प्राप्त होती है और जैविक खेती करने से सरसों के पैदावार कम होती है इसलिए आजकल किसान भाई जैविक खेती बहुत काम करते हैं

सरसों में कितनी पानी दे

सरसो में महो की दवा

किसान भाईयो सरसों खेती के लिए चार से पांच सिंचाई प्राप्त होती है कुछ राज्यों में दो-तीन बार ही होता है पहली सिंचाई आपको 20 से 25 दिन में कर देनी चाहिए

और दूसरी सिंचाई तब करे जब आपकी सरसों की अपनी शाखा पैदा करें दूसरी सिंचाई जब सरसों की सरसों की शाखा नीचे से होकर ऊपर जाए तब आपको दूसरी सिंचाई करनी चाहिए तीसरी सिंचाई है

जब सरसों दाने के रूप में हो तब सरसों सिंचाई करनी चाहिए जिससे दाना अच्छे हो अन्यथा दाना पतले हो जाते हैं

सरसों में लगने वाले रोग

सरसो में माहो की दवा

किसान भाइयों सरसों की खेती के दौरान कई प्रकार के रोग लगते हैं उपयुक्त साधन न होने के कारण यह रोग सरसों की फसल को नष्ट कर देते हैं जिस से सरसों के पैदावार कम होते हैं जो की रोग निम्न प्रकार हैं जो सरसों में लगते हैं जैसे

  • दीमक का लगना

सरसों के लिए खाद सरसों में कौन-कौन से खाद डालें

किसान भाइयों अच्छी पैदावार के लिए हम सरसों के खेत में सही मात्रा में सही उर्वरक का प्रयोग करना चाहिए इससे खेत की जुताई के समय लगभग 100 kilo यूरिया 100 DAP किलो डीएपी को एक बीघा में देकर खेत की अच्छी तरह करें तथा 40 किलो पोटाश 80 किलो फास्फोरस देखकर अच्छी जोताई करें

सरसों की खेती में होने वाले लाभ सरसों

मुख्य रूप से dalahni फसल होने से इसका तेल प्राप्त होता है और खाली भी प्राप्त होती है जो किसान अपने पशुओं को अनाज के साथ खिलाते हैं

जिसमें किसान समृद्ध बना सकते हैं सरसों के खाली पशुओं को खिलाने तथा पशुओं का पोषण सुधारने में हो सकता है तथा सरसों की खेती करने में इसकी लागत बहुत कम होती है और किसान भाइयों को मुनाफा ज्यादा प्राप्त होता है इसलिए सरसों की खेती की जाती है H

महू के लिए सरसों में दावा

सरसो में महो की दवा

किसान भाइयों सरसों में सबसे ज्यादा माहों का अटैक होता है जिससे सरसों के फली खराब होती है इसके बचाव के लिए किसान भाइयों को 15 दिन पर 20 ml पर लीटर आईएम da क्लोरो फ्रीड 17.5 सेल में स्प्रे किया जाए जिससे माहों सरसों में ना लगे सरसों में ना लगे और अधिक उपज हो

FAQ

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सरसो में महो की दवा

सरसो में मिथ्या फुल

सरसो में कितना बिगहा होता है

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