jhoom ki kheti स्थानांतरित कृषि है
एक प्रकार की कृषि है जिसमें कि पहले प्रश्न तथा वनस्पतियों को काटकर उन्हें जला दिया जाता है और सैफ की गई भूमि को पुराने उपकरणों यानी लकड़ी के हाल अधिक से जुटाए करके बीच होती जाते हैं
स्थानांतरित कृषि का मतलब होता है वैसे यह आदिवासी समुदाय ज्यादा की जाती है होता क्या है की जहां जंगल होता है उसे जंगल को काट दिया जाता है उसे जंगल की सफाई कर दी जाती इसके बाद वहां पर खेती करते हैं
जब वह जमीन थोड़ी कम उपजाऊ हो जाती है तो यह लोग क्या करते हैं उसे जगह को छोड़ देते हैं स्थानांतरित कृषि है jhum ki kheti की उर्वरता विद्यमान रहती है यानी बनी रहती है
इस भूमि पर खेती की जाती है लेकिन जैसे ही इसकी उर्वरता खत्म हो जाती है तो इस भूमि को छोड़ दिया जाता है जिस पर पुनः पेड़ पौधे उग जाते हैं
यह विभिन्न रूप से उसे गठबंधन क्षेत्र में बहुत ही प्रसिद्ध प्रथम है क्योंकि यहां जंगली जंगली वनस्पतियां तेजी से होती है अब आपको समझ में आएगी
स्थानांतरित कृषि से लाभ क्या है
वह देख लेते हैं तो इस खेती में फसल की वृद्धि तेजी से होती है क्यों होती है क्योंकि इस भूमि को थोड़े कुछ समय के लिए छोड़ दिया प्रति छोड़ दिया जाता है
अब वहां पर जो वनस्पतियां होती है उसे क्या होता है कि इसको कंपोस्ट मिलती रहती है तो क्या होता है कि यह उर्वरता इसकी बढ़ जाती है और कभी-कभी फसल जल्दी तैयार हो जाती है फिर क्या होता है
इसमें फसल नष्ट करने वाले जानवरों और बाढ़ का कोई खतरा या भाई नहीं रहता है इसके बाद में क्या होता है कि इस खेती में हड्डी संबंधी बीमारियां काफी कम हो जाती है यहां पर हड्डी नहीं है यदि मिट्टी की जो दिक्कत है
वह काम हो जाती है इसके बाद में क्या होता है कि काटने और जलाने के बाद फसल उगाना यहां पर आसान है स्थानांतरित कृषि में उर्वरता से भरपूर मिट्टी की ऊपरी सतह का 22 प्रतिशत भाग नुकसान होता है
आता है इससे लोगों में आर्थिक दर की हानि होती है क्योंकि इसमें कच्चा सीवेज और तेल अवशेष है इसलिए इसमें जल प्रदूषण आसानी से हो सकता हैjhoom ki kheti स्थानांतरित कृषि है
प्रक्रिया भूमि उपयोग की तीव्रता को भी सीमित करती है
जैव विविधता का नुकसान भी स्थानांतरण कृषि का एक प्रभाव है और यह एक लाभकारी है हालांकि स्थानांतरित कृषि से कितना लाभ है इसलिए स्थानांतरित कृषि पर इस समय थोड़ा रोक लगाई गई है
यह काफी पहले की बात है खुशी होती थी हालांकि अभी भी कही गई होती है लेकिन फिर भी सरकार द्वारा इस पर रोक लगाई जा रही है 8
jhoom kheti kaha hoti hai
यह खेती पहाड़ों विशेष कर मेघालय अरुणाचल प्रदेश जैसे पूर्वोत्तर ही राज्यों में होती
झूम खेती के फायदे
इस विधि से खेती करने से मिट्टी की भौतिक स्थितियों मे मिट्टी के पोषक तत्वों और नामी तक जड़ की पहुंच में सुधार करने और रोपण की गुणवत्ता में सुधार होता है
झूम खेती की क्या-क्या नुकसान होते हैं
झूम खेती के हानिकारक प्रभाव में मिट्टी की उर्वरकता में मिट्टी का कटाव वनों की कटाई वन्य जीवों के आवास का विनाश और नदियों और जिलों में बाढ़ शामिल नहीं जतन उत्पादन इतना काम हो जाता है
कुछ रोचक तथ्य जान लेते हैं
झूम खेती मिजोरम में की जाती है इस प्रकार की खेती में फसल काटने के बाद कुछ सालों तक जमीन को छोड़ दिया जाता है खाली जगह में जो जंगल उगता है
उसे उखाड़ कर फेंकते नहीं है सिर्फ जंगल को गिरकर जला देते हैं झूम खेती में जमीन को जोत नहीं जाता है सिर्फ मिट्टी को मिलाकर छिड़क दिया जाता है मुख्य फसल चावल का किया जाता है
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