पपीता की खेती का परिचय

पपीता एक ऐसा फलदार पौधा है जिसको बहुत ही कम पानी में उगाया जा सकता है इसको सिंचाई की बहुत ही कम आवश्यकता होती है तो पपीता उगने का सबसे पहला फायदा यह है कि जिन इलाकों में पानी की कमी है वहां पर पपीते की बागवानी की जा सकते हैं और दूसरा फायदा यह है कि पपिता का पौधा जब किसान रोपता है

तो उसके 1 साल बाद उसका उत्पादन मिलना शुरू हो जाता है पपीता का तीसरा फायदा पपीता का पौधा अगर एक बार आपको रोप देते हैं तो आपको चार साल तक इसका उत्पादन मिलता रहता है और चौथा फायदा की पपीते की खेती शुरू करना बहुत ही सस्ता है

जिससे किसान खुद papaya के बीज से पपीते के फल से पपीते का बीज निकाल कर अपने खेत में नर्सरी तैयार कर सकते हैं और इसको अपने खेत में रोप सकते हैं पपीते के पांचवें फायदे पपीते की खेती पर आपको सरकार सब्सिडी मिलेगी सरकार द्वारा सब्सिडी भी मिलती है

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पपीते की खेती

भारत के ज्यादातर हिस्सों में पपीते की खेती की जाती है जिन इलाकों में तापमान 10 डिग्री सेल्सियस से लेकर 40 डिग्री सेल्सियस तक रहता है वह इलाके भी पपीते की खेती के लिए बहुत ही उपयुक्त माने जाते हैं papaya एक ऐसा पेड़ है जो 45 डिग्री सेल्सियस की गर्मी को भी सहन कर सकता है

जिन इलाकों में ज्यादा ठंड पड़ती है जहां – 20 डिग्री सेल्सियस में चला जाता है उन इलाकों में पपीते के पौधों को नुकसान पहुंचता है भारत के लगभग सभी राज्यों में जैसे उत्तर प्रदेश ,बिहार, मध्य प्रदेश ,छत्तीसगढ़ ,झारखंड, पंजाब ,हरियाणा ,राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र ,गुजरात ,कर्नाटक, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश,लगभग सभी राज्यों में पपीते की खेती की जाती है जम्मू कश्मीर में बर्फ के कारण इस इलाके में पपिते की खेती नहीं की जाती है

पपीते की खेती के लिए मिट्टी

papaya farminge के लिए बालूई दोमट मिट्टी बहुत ही बेहतर मानी जाती है लेकिन पपीता लगभग सभी तरह की मिट्टी में उगाया जा सकता है जहां पर आप पपीते की खेती करना चाहते हैं

वहां पर उसे जमीन में कम से कम 1:5 से 2 फीट मिट्टी होनी चाहिए अगर आप पहाड़ी इलाके में खेती करते हैं तो आपकी पहाड़ी मिट्टी में काम से कम 2 फीट मिट्टी होनी चाहिए ताकि पपीते के जड़ जमीन में एक दो फिट गहरी जा सके

पपीते की खेती के लिए मिट्टी का PH लेवल 6.5 से लेकर 7 तक अच्छा माना जाता है वहां पर पपीता उगाया जा सकता है

पपीते की वैरायटी

papaya farminge बहुत सारी वैरायटी होती हैं लेकिन इनमें से बहुत बहुत ही कम सबसे अच्छी वैरायटी होती है जैसे ताइवान ,रेड लेडी 786 ,हनीड्यू, कोरबा , कोयंबटूर ,पूजा स्वीट्स ,पूजा, पूसा उषा ,पूसा ,नन्हा ,सूर्य इन वैरायटी को किसान आसानी से उगा सकते हैं कुछ पपीते खेत के अलावा गमले में भी उगाए जाते हैं

अपने घर पर तो उसके लिए दो वैरायटी उपलब्ध है पूसा ननर्हा और पूजा डवाफ यहां ऐसी दो वैरायटी है जिनकी ऊंचाई बहुत ज्यादा नहीं होती है जिनको बड़े आराम से आप कंप्लीट गमले में उगा सकते हैं हरे और कच्चे पपीते के फल में सफेद रंग का रस निकलता है इसको दूध कहा जाता है

और इसका जो साइंटिफिक नाम है वह पेपन है कुछ किसान भाई पपेन का इस्तेमाल करने के लिए पपीते की खेती करते हैं पपेन को प्रोटीन को पाचन में ,कोल्ड ड्रिंक को साफ ,करने में चिंगम, बनाने में पेपर कारखाने में और दवाई बनाने में और ब्यूटी प्रोडक्ट बनाने में काम में लिया जाता है

जो किसान पर पपेन उत्पादन के लिए पपीते की खेती करना चाहते हैं उनके लिए तीन वैरायटी हैं जिनमें ज्यादा दूध निकलता है पहले पूसा मजिस्ट्रेट co5 CO2 है

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पपीते के बीज से पौधे उगाने की तकनीकी

जो किसान घर पर ही पपीते के फल से papaya farminge करना चाहते हैं वहां अपनी खुद की नर्सरी में पपीते का पौधा तैयार कर सकते हैं और पौध तैयार करना बड़ा ही आसान है इसके लिए सबसे पहले आपको पपीते के बीज खरीदना है आप बाजार में जाकर पपीते का बीज खरीद सकते

हैं आपको जो भी विराइटिंग का पपीता लगाना है इस वैरायटी के आप पपीते का बीज खरीद सकते हैं लगाने के लिए आप गोबर और मिट्टी मिक्स करें और उसमें पपीते का बीज रोप सकते हैं या तो फिर आप सीधे जमीन पर पपीते के बीज उगना चाहते हैं तो आप क्यारी बनाकर कयर्रि बन सकते हैं 1 मीटर लम्रबी 3 फीट चौड़ी क्यारी बनाने या फिर बेड बना सकते हैं 3 फीट चौड़ा और उसे पर पपीता लगा सकते हैं

कैयारी में पपीते के बीज एक दूसरे बीज से 1 फिट रखते हुए आप रोप सकते हैं पपीते का बीज 7 से 15 दिन में अंकुरित हो जाता है जब आपका पपीता का पौधा 1 फीट की ऊंचाई का हो जाए तो आप उसको खेत में रोप सकते हैं

पपीते के पौधे को रोकने की विधि

पपीता एक ऐसा पौधा है जिसको आप पूरे साल कभी भी रोप सकते हैं लेकिन पपीते की रोपाई के लिए दो सीजन सबसे बेहतरीन हैं फरवरी और मार्च का महीना या पपीते को रोपने के लिए बहुत ही उपयुक्त है इसके अलावा जुलाई से लेकर अक्टूबर तक आप पपीते को रोप तो बहुत ही अच्छे से ग्रथो करेगा जो पौधा बरसात के मौसम में रोप जाते हैं उन पौधों पर मार्च अप्रैल में पहली बार फूल आना शुरू हो जाता है इन पौधों से किसान को सितंबर अक्टूबर में पहली उपज मिल जाती है

पपित रोपने की विधी

पपीते को रोकने की तीन विधि है पहले विधि जिसमें साधारण तौर पर पपीते की खेती की जाती है तो उसमें पौधे से पौधे की दूरी 6 फीट रखी जाती है और कतार से कतार की दूरी 8 फीट रखी जाती है और दूसरी विधि हाई डेंसिटी जिसको किसान आम बोलचाल में संघनन पौधा रोपण कहते हैं

इस विधि में पौधे से पौधे की दूरी 5 फीट रखी जाती है का और कतार से कतार की दूरी 7 फीट रखी जाती है तीसरी विधि अल्ट्रा हाई डेंसिटी जिसको आती संघनन पौधा रोपण कहा जाता है इस विधि में पौधे से पौधे की दूरी 5 फीट रखी जाती है और कतार से कतार की दूरी 6 फिट रखे जाती है

इस तकनीक में जो बौनी किस्म के पौधे होते हैं उनके लिए बेहतरीन मानी जाती है पपीते की जिन वैराइटीज का कद बड़ा होता है उनके लिए यह विधि ठीक नहीं है

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पपीते की खेती में खाद उर्वरक प्रबंधन

पपीते को फल बहुत ज्यादा लगते हैं इसलिए पपीते को खाद भी ज्यादा देनी होती है तो जब आप papaya farmingeका पौधा रोपे तो आप गड्ढे में उसमें खाद डाल दीजिए

लगभग 10 किलो उसके बाद जब आपका पपीता बड़ा होने लगे उसको फल आने लगे तब आप उसमें एक पौधे को 200 250 सौ ग्राम नाइट्रोजन, दीजिए 200 से 250 ग्राम फास्फोरस, 250 सौ से 500 ग्राम, पोटाश दीजिए

जिससे आपके अच्छे उपज मिलेगी बारिश के मौसम में पपीते के पौधे को 1200 से 1500 ग्राम लगभग 1 किलो सिंगल सुपर फास्फेट खाद आप दे सकते हैं इसके अलावा पोटाश डाल सकते हैं

लगभग 500 ग्राम आप चाहे तो इस मात्रा को तीन से चार बार में भी दे सकते हैं अलग-अलग जब बारिश का दौर चलता है और जब आप सिंचाई करें तब

ऑर्गेनिक विधि से

पपीते की खेती करते हैं तो आप उसमें ऑर्गेनिक खाद दे सकते हैं तो भी आपको बहुत अच्छा उत्पादन मिलेगा पपीते का और आपको केमिकल खाद देने की आवश्यकता नहीं होगी और अगर आप ऑर्गेनिक खेती करते हैं तो इससे भूमि की उरवरक शक्ति बढ़ती है

पपीते की खेती में सिंचाई प्रबंधन

पपीता एक ऐसा पौधा है जिसको बहुत ज्यादा पानी नहीं चाहता उसको समय-समय पर हल्की सिंचाई की आवश्यकता होती है अगर आप पपीते को ज्यादा पानी दिया जाए तो उसका पौधा ज्यादा लंबा हो जाता है

और उसका फल बहुत कम लगता है इस लिए पपिते को कम पानी देना होता है जब जरूरत हो हल्के सिंचाई करें गर्मी के मौसम में 7 दिन से लेकर 10 दिन के अंतराल पर आप ड्रिप इरीगेशन से हल्के सिंचाई कर सकते हैं अगर आपके पास ड्रिप इरीगेशन नहीं है तो आप फबारा पद्धति से सिंचाई कर सकते हैं

अगर फाबारा पद्धत नहीं है तो आप फीटट इरिगेशन से सिंचाई कर सकते हैं आप हल्के सिंचाई करें 10 से 15 दिन में और सर्दियों के मौसम में 15 दिन से लेकर 20 दिन के अंतराल पर पपीते की सिंचाई कर सकते हैं बरसात के मौसम में पपीते की सिंचाई करने की आवश्यकता नहीं पड़ती है अगर आपके पास ज्यादा सिंचाई का पानी नहीं है

तो पपीते एक ऐसी फसल है जो बारिश पर भी तैयार हो सकती है जिन इलाकों में अच्छी बारिश होती है वहां पर पपीता सिर्फ बारिश पर भी उगाया जा सकता है

पपीते की खेती में फूल आना और पपीते की तुड़ाई

पपीते का पौधा लगाने के लगभग 6 महीने बाद उसमें फल फूल आना शुरू हो जाता है अगर मानसूनी सीजन में अक्टूबर से लेकर नवंबर के बीच पपीते का पौधा लगाया जाता है तो उसमें मार्च अप्रैल महीने में फूल आना शुरू हो जाता है और पपीते का फल फूल आने के लगभग 6 महीने बाद पक्का तैयार हो जाता

है जो पौधे मानसून सीजन में लगाए जाते हैं उन पौधों पर मार्च अप्रैल में फूल आते हैं पौधों पर जो फल है जो सितंबर अक्टूबर में तौड़ाई के लिए तैयार हो जाते हैं जब पपीता पक जाए और हल्का पीला होने लगे

तब किस उसकी तौड़ाई कर सकते हैं पपीते के फलों की तोड़ाई करके उसको सुरक्षित जगह पर रख दे और उसके बाद उनको अच्छे से पैक करके बाजार में बेच सकते हैं

पपीते के पौधे पर लगने वाली बीमारियां

पपीता एक ऐसा पौधा है जिसको फंगस वाली बीमारियां ज्यादा लगती है पपीते के पौधे में जड़ जलन और तना गलन बीमारी ज्यादा लगती है

और यह फंगस के कारण होते हैं जब पपीते में यह बीमारी दिखे तो किसान को रेडीमिल या फिर मनको जेब का छिड़काव करके उसकी रोकथाम कर सकते हैं अगर किसान ऑर्गेनिक विधि से खेती कर रहे हैं तो उसमें ऑर्गेनिक पेस्टिसाइड का भी इस्तेमाल किया जा सकता है

पपीते की खेती से मिलने वाले उत्पादन और होने वाली कमाई

पपीते का पौधा रोपने के 10 से 12 महीने बाद फल मिलना शुरू हो जाता है पपीते के फल का रंग जब हल्का पीला होने लगे तो उनकी तुड़ाई कर सकते हैं

पपीते का फल पक गया है इसके परख करने के लिए पपीते के ऊपर आप थोड़ा सा नाखून लगाइए अगर वहां पर दूध की जगह पानी जैसा तरल पदार्थ दिखे तो आप समझ सकते हैं कि पपीता पक गया है पपीता के एक पौधे से औसतन 30 किलो से लेकर 50 किलो तक फल प्राप्त होता है

एक साल में और जो किसान पपीते के पौधे से पपेन लेते हैं वह एक पौधे से लगभग 200 से 300 ग्राम प्रोटीन का उत्पादन ले सकते हैं

Concolzan

पपिते की खेती करना बहुत आसान है इसको बहुत कम पैसे में आप शुरू कर सकते हैं और बहुत कम पानी के साथ अच्छी उपज आप ले सकते हैं

पपीते की खेती उन इलाकों में भी अच्छी खासी बारिश होती है जिन इलाकों में बीना सिंचाई के भी पपीते की खेती आप कर सकते हैं पपीते के खेती करना बहुत आसान है

यह आप जान लीजिए और बहुत सस्ता भी है यह भी जान लीजिए इसमें सब्सिडी भी मिलेगा और साथ में पपीते की खेती बहुत कम पानी में आप कर सकते हैं

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